पितृ दोष (Pitra Dosha)
कुंडली में एक अहम दोष पितृ दोष (Pitra Dosha in Kundali) को भी माना जाता है। कई लोग इसे पित्ररों यानि पूर्वजों के बुरे कर्मों का फल मानते हैं तो कुछ का मानना है कि अगर पित्ररों का दाह-संस्कार सही ढंग से ना हो तो वह नाखुश होकर हमें परेशान करते हैं। कुंडली में पितृ दोष तब होता है जब सूर्य, चन्द्र, राहु या शनि में दो कोई दो एक ही घर में मौजुद हो।
ज्योतिष में पितृदोष का बहुत महत्व माना जाता है। प्राचीन ज्योतिष ग्रंथों में पितृदोष सबसे बड़ा दोष माना गया है। इससे पीड़ित व्यक्ति का जीवन अत्यंत कष्टमय हो जाता है। जिस जातक की कुंडली में यह दोष होता है उसे धन अभाव से लेकर मानसिक क्लेश तक का सामना करना पड़ता है। पितृदोष से पीड़ित जातक की उन्नति में बाधा रहती है।
कालस्यकुटिलागति:
पितृ दोष निवारण
पितृ दोष से युक्त जोड़े को संतान प्राप्ति में बेहद कठिनाई होती है। गर्भ ठहरने के बाद लगातार गर्भपात की समस्या आने पर इस दोष पर विचार कर लेना चाहिए। पितृ दोष से मुक्ति के कुछ विशेष उपाय:
* इस दोष से मुक्ति के लिए पितृ पक्ष में पित्ररों का दान और ब्राह्मणों को भोजन कराएं।
* श्रीकृष्ण-मुखामृत गीता का पाठ करना चाहिए।
* पीपल के पेड पर जल, पुष्प, दूध, गंगाजल, काला तिल चढ़ाकर अपने स्वर्गीय परिजनों को याद कर उनसे माफी और आशीष मांगना चाहिए।
* रविवार के दिन गाय को गुड़ या गेंहू खिलाना चाहिए।